May 22, 2025

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प्रधानमंत्री श्री मोदी का “जल गंगा संवर्धन अभियान” से मध्यप्रदेश में जल संरक्षण को मिलेगी नई दिशा

मध्यप्रदेश में जल संरक्षण को एक जन आंदोलन का रूप देने के लिए 30 मार्च से “जल गंगा संवर्धन अभियान” की शुरुआत हो रही है, जो आगामी तीन महीनों तक यानी 30 जून तक निरंतर चलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस अभियान की शुरुआत उज्जैन के क्षिप्रा तट पर जल देवता वरुण के पूजन और जलाभिषेक के साथ करेंगे। इस महाअभियान का उद्देश्य वर्षा जल का अधिकतम संचयन कर प्रदेश को पानीदार बनाना है, जिससे भूजल स्तर में सुधार हो सके और भावी पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित हो।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अभियान के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि पानी की हर बूंद हमारे जीवन के लिए अनमोल है। यदि जल का संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ियों को इसका गंभीर संकट झेलना पड़ेगा। उन्होंने प्रदेशवासियों से जल संरक्षण के इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की है, ताकि यह एक जन आंदोलन का रूप ले सके। मुख्यमंत्री इस दौरान हर दिन किसी न किसी जल संरचना का लोकार्पण करेंगे, जिससे जल संरक्षण के प्रयासों को नई गति मिलेगी।

इस अभियान के तहत जल स्रोतों के संरक्षण, वर्षा जल संचयन, नदी-तालाबों के पुनर्जीवन और जलसंवर्धन के कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के नेतृत्व में जल संसाधन, पर्यावरण, नगरीय विकास, कृषि, उद्यानिकी, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सहित 12 से अधिक विभाग इस अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाएंगे। राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में’ सिद्धांत को अपनाते हुए जल संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठा रही है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि यह अभियान प्रदेश में जल संरक्षण को लेकर जन जागरूकता बढ़ाने का कार्य करेगा। अभियान के तहत प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जल संरचनाओं के निर्माण और पुनर्जीवन के कार्य किए जाएंगे। गांवों में नए तालाबों का निर्माण, पुराने जल स्रोतों के पुनर्जीवन, खेत तालाबों का निर्माण, जलधाराओं की सुरक्षा और जलस्रोतों को अतिक्रमण मुक्त करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए जाएंगे। इस दौरान एक लाख “जलदूतों” को तैयार किया जाएगा, जो जल संरक्षण के संदेश को हर गांव और हर घर तक पहुंचाने का काम करेंगे।

मध्यप्रदेश सरकार ने जल संरक्षण को लेकर पहले भी कई ठोस प्रयास किए हैं। वर्ष 2024 में भी 5 से 30 जून के बीच “जल गंगा संवर्धन अभियान” चलाया गया था, जिसमें 38 हजार से अधिक जलसंरक्षण संबंधी कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया था। इस अभियान में 1056 करोड़ रुपये की लागत से जल संरचनाओं का निर्माण और जीर्णोद्धार किया गया था। हजारों कुओं, बावड़ियों, तालाबों और चेक डैमों के निर्माण एवं संरक्षण के कार्य किए गए थे, जिससे भूजल स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ था।

इस वर्ष “जल गंगा संवर्धन अभियान” को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। सरकार नदियों के जल स्तर को बनाए रखने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करेगी। जलाशयों से रिसाव रोकने, नहरों की सफाई, नए चेक डैम निर्माण, वनीकरण, और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने जैसे प्रयासों को इस अभियान में शामिल किया गया है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पानी चौपाल का आयोजन किया जाएगा, जहां स्थानीय लोगों को जल संरक्षण की दिशा में जागरूक किया जाएगा।

मध्यप्रदेश सरकार इस महाअभियान के माध्यम से जल संरक्षण को लेकर प्रदेशवासियों में एक नई सोच विकसित करना चाहती है। जल ही जीवन है और इसका संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के नागरिकों से अपील की है कि वे जल संरक्षण को अपनी प्राथमिकता बनाएं और इस अभियान को सफल बनाने में सहयोग करें। जल को बचाना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को इसमें योगदान देना होगा, ताकि मध्यप्रदेश को जल संरक्षण के क्षेत्र में एक आदर्श राज्य बनाया जा सके।